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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Saturday 21 July 2012

तस्वीर बोलती हैं

इस तस्वीर को गौर से देखिये
क्या कुछ बताने की जरुरत हैं
क्या कुछ कहने की जरुरत हैं
जो कोई भी इस तस्वीर को देखेगा
बिन बताये सब कुछ जान जाऐगा
साफ दीख रहा हैं इस तस्वीर में
किस कदर पिता चाहता हैं पुत्र को
कैसे बाहों में भर के जीना चाहता हैं पुत्र को
ये अनोखा ,अजीब और गहरा प्यार साफ़ झलक रहा हैं
जो एक पिता अपने पुत्र को गले से लगाके कर रहा हैं
ये तस्वीर पिता के अपार प्रेम को जहां दर्शा रही हैं
वही एक पुत्र के शकुन को पिता के बाहों में दिखा रही हैं
सच कहूं तो तस्वीर बोलती हैं  ,,,,,,

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