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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Thursday 26 July 2012

कैसे कहूँ कि

कैसे कहूँ कि तुझे कितना प्यार करता हूँ
   कैसे कहूँ कि तुझे कितना चाहता हूँ
        कैसे कहूँ कि तेरे बगैर नहीं रह सकता हूँ
              कैसे कहूँ कि तेरा हो जाना चाहता हूँ
                      कैसे कहूँ कि तुझमे खो जाना चाहता हूँ
                            कैसे कहूँ कि तुझे बाहों में भर लेना चाहता हूँ
                                      (ये तेरे प्यार का खुमार हैं जो तुझमे ही सिमट जाना चाहता हूँ )
      
              

3 comments:

  1. niceeeeeeeeeeeeeeeeee thoughts vivek ji

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  2. lovely ,romantic
    Thank You
    http://drivingwithpen.blogspot.in/

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