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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 29 July 2012

मैंने कई बार दिल लगाने की सजा पाई हैं

मैंने कई बार दिल लगाने की सजा पाई हैं
मगर मेरे दिल को ये सजा लुभाई हैं
तभी तो हर बार मैंने दिल लगाईं हैं
जिसकी बराबर सजा मैंने पाई हैं
मैंने कई बार नजरे उनसे मिलाई हैं
मगर उनकी नजरों ने मुझसे नजरे चुराई हैं 
फिर भी उन्हें देखने की सजा मैंने पाई हैं
मगर मेरे दिल को ये सजा लुभाई हैं
तभी तो हर बार मैंने दिल लगाईं हैं
मैंने कई बार ये ख़ता दुहराई हैं
मग़र मेरे दिल को ये सजा लुभाई हैं
तभी तो हर बार मैंने दिल लगाईं हैं

 

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