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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 29 July 2012

दोस्तों के किस्से

मेरे दोस्तों के कुछ ऐसे किस्से हैं
जिन्हें सुनकर दोस्ती से विश्वास उठ जाऐगा आपका
मेरे दोस्तों के कुछ ऐसे किस्से हैं
जिन्हें सुनकर पाँव तले जमीन खिसक जाऐगा आपका
ऐसे कुछ दोस्तों की दोस्ती की मिशाल देता हूँ
जो दोस्ती को कैसे निभाए वो याद देता हूँ
जिन्हें अपना माना था जिनके लिए कुछ किया था
ख़ुशी के घड़ी में, उन्हें मैं याद न आया
उन्होंने सबको बुलाया ,मुझे बस भुलाया
अब दोस्ती से डर लगता हैं मुझको
ऐसे दोस्तों की दोस्ती पे संदेह रहता हैं मुझको
मगर क्या करू मजबूर हो इतना
नहीं जी सकता दोस्तों के वगैर
यही किस्सा हैं मेरे दोस्तों का
कुछ ऐसा रिश्ता हैं मेरे दोस्तों का
जिन्हें सुनकर दोस्ती से विश्वास उठ जाऐगा आपका

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