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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Monday 30 July 2012

मैं और मेरा शायराना अंदाज-२१

१- किसी को कुछ नहीं दे सकता हूँ मगर ,बहुत कुछ दे सकने का जिगर रखता हूँ
माना कि बहुत गरीब हूँ ,मगर प्यार भरा दिल रखता हूँ
२ -प्यार करने का ख्याल मुझे भी आता हैं पर प्यार निभाने से डरता हूँ
मैं तभी तो प्यार नहीं करता हूँ क्यूंकि अपनी हालात से डरता हूँ
३-मुसीबत में हम तेरा साथ देंगे ,तुझे गिरने से पहले हम थाम लेंगे
हमारी होकर तो देखो ,हम तुझमे समाके अपना दम तोड़  देंगे
४-अभी हसने कि सोच ही रहा था कि एक गम के झोंके ने फिर से रुला दिया अब ये सोचता हूँ कि  बिन सोचे ही हसूँ क्या पता कब ये झोंका फिर आ जाए ,
५ -बहुत सी ऐसी तस्वीरे होती हैं जो खुद ब खुद सब कुछ बयान कर देती हैं
बस हमारी नजरे सही ढंग से उन्हें देख ले वो सब कुछ दिखा देती हैं

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