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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Friday 10 August 2012

आज भी मैं भूला नहीं

आज भी मैं भूला नहीं
अब भी मुझे याद हैं
कैसे एक आदमी ने
एक आदमी को लूटा था
उसकी जीवनभर की पूँजी
जो कैसे कैसे बटोरा था
एक ही झटके में कैसे लूटा था
आज भी मैं भूला नहीं
अब भी मुझे याद हैं
बैंक से निकालकर,गमछे में लपेटकर
मन ही मन सोचता
बेटी की शादी धूमधाम से करूँगा
उसे क्या पता था ,लूटेरा पीछे पड़ा था
एक ही झटके में लूट लिया लूटेरे ने
आज भी मैं भूला नहीं
अब भी मुझे याद हैं
कैसे एक आदमी ने
एक आदमी को लूटा था

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