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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday, 2 September 2012

पिता भी कम प्यार नहीं करते

पिता भी कम प्यार नहीं करते
दर्द तो पिता को भी होती हैं
जब हमारे आँखों में आंसू होता हैं
पिता भी कम प्यार नहीं करते
उंगलिया पकड़ के चलना
पिता ही सिखाते हैं
खिलौने की जिद हो
तो पिता ही लाकर देते हैं
कंधे पे घूमना हो तो
पिता ही घुमाते हैं
मिठाई खाने का मन हो तो
लाकर पिता ही खिलाते हैं
पिता भी कम प्यार नहीं करते
दर्द तो पिता को भी होती हैं
जब हमारे आँखों में आंसू होता हैं
पिता भी कम प्यार नहीं करते
त्यौहार पे नये कपड़े
पिता ही खरीदते हैं
जब बम-पटाखे फोड़ने का मन हो
तो पिता ही लाकर देते हैं
परीक्षा केंद्र पे रहके घंटो इंतज़ार
पिता ही करते हैं
थोड़ी तबियत बिगड़ी नहीं कि
डॉक्टर को बुला के पिता ही दिखाते हैं
पिता भी कम प्यार नहीं करते
दर्द तो पिता को भी होती हैं
जब हमारे आँखों में आंसू होता हैं

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