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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Wednesday, 28 December 2011

जो इंसान होते हैं

जो इंसान होते हैं ,वे वैर ईर्ष्या,घृणा और द्वेष नहीं करते है वे तो हर एक को प्रेम करते हैं, हर एक की मदद के लिए तत्पर रहते हैं उनके लिए किसी के प्रति कोई भेद भाव नहीं होता हैं वे तो सब की सुख और ख़ुशी की प्राथना करते हैं जो इंसान होते हैं वे वैर, ईर्ष्या,घृणा और द्वेष नहीं करते हैं

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