मैंने जिन्दगी को करीब से देखा हैं
आँखों में आंसू,दिल में दर्द देखा हैं
घरो को उजरते ,लोगो को बिछरते देखा हैं
औरतों पे हो रहा अत्याचार देखा हैं
सड़क पे पड़ा इंसान देखा हैं
महाजनों का चूसता ब्याज देखा हैं
किसानों के कर्ज का बोझ देखा हैं
मैंने जिन्दगी को करीब से देखा हैं
आँखों में आंसू ,दिल में दर्द देखा हैं
दहेज़ की आग में जलती लडकियों को
विधवाओ को जिन्दा मरते देखा हैं
बाप की चिंता ,भाई की मज़बूरी देखा हैं
मैंने जिन्दगी को करीब से देखा हैं
आँखों में आंसू ,दिल में दर्द देखा हैं
The line is good but the image that you post with it is not good...it's showing some other effect.
ReplyDeleteyes i am thinking like you after sometime i change this pic. thanks dear Diwakar ji
Deleteplz you don't change the pick this is the real fact fo life
Deletethat's better...now the combination left the real feeling to the readers that you deserved.
ReplyDeletethanks for giving me suggestion to change pic.
DeleteAb likhane se kaam nhi chalne wala...
ReplyDeleteAb humhe koi thos kadam uthana hoga...
Rone wale ko duniya aur rulati hai...
Aur likh likh kar logo ko samjhane walo ko bewkoop aur pagal samajhti hai...
khud sahi raho updesh mat do kisi ko to shayad tumhe dekh kar log badle....par bhashad se log waise bhi door bhagte hai........
बहोत सुंदर पंक्तीयां लिखी आपने ।
ReplyDeleteनया हिन्दी ब्लॉग
हिंदी दुनिया
achha likha hai Vivek, keep writing!
ReplyDelete...amit/ amitaag.blogspot.com
nice one..!!
ReplyDeletewah! superb lines!!
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