वो माँ का कर्ज चुकाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
वो स्नेह बर्पाऊ कैसे,वो माँ का दुलार जताऊ कैसे
वो माँ का कर्ज चुकाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
वो लोरी सुनाऊ कैसे,वो खिलौना लौटाऊ कैसे
वो माँ का प्यार बर्पाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
वो चलना सिखाओ कैसे,वो बोली लौटाऊ कैसे
वो माँ का कर्ज चुकाऊ कैसे,वो माँ का दिल बहलाऊ कैसे
वो गोद में सुलाना,आंचल में छिपाना
वो काजल लगाना,बुरी नजरो से बचाना
वो सिने से लगाना और खून पिलाना
वो माँ का कर्ज चुकाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
वो चिंता जताऊ कैसे,वो फिक्र बताऊ कैसे
वो आंसू लौटाऊ कैसे,वो दर्द मिटाऊ कैसे
वो बीते दिन लौटाऊ कैसे
वो माँ का क़र्ज़ चुकाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
(माँ को समर्पित)
वो स्नेह बर्पाऊ कैसे,वो माँ का दुलार जताऊ कैसे
वो माँ का कर्ज चुकाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
वो लोरी सुनाऊ कैसे,वो खिलौना लौटाऊ कैसे
वो माँ का प्यार बर्पाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
वो चलना सिखाओ कैसे,वो बोली लौटाऊ कैसे
वो माँ का कर्ज चुकाऊ कैसे,वो माँ का दिल बहलाऊ कैसे
वो गोद में सुलाना,आंचल में छिपाना
वो काजल लगाना,बुरी नजरो से बचाना
वो सिने से लगाना और खून पिलाना
वो माँ का कर्ज चुकाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
वो चिंता जताऊ कैसे,वो फिक्र बताऊ कैसे
वो आंसू लौटाऊ कैसे,वो दर्द मिटाऊ कैसे
वो बीते दिन लौटाऊ कैसे
वो माँ का क़र्ज़ चुकाऊ कैसे,वो माँ की ममता लौटाऊ कैसे
(माँ को समर्पित)
Real vivek ji, You have touched my heart with the help of this poem.
ReplyDeleteThanks
And keep it up.
Nice One, bro
ReplyDeleteKeep it up
Amazing....Amazing.................
ReplyDeleteRealy Mujhe Rone pe Aapne Majboor kar diya.
Maa ka karz Aaj tak kisi ne nahi Chuka paya h.
Regards,
Mohit,
kya baat hai vivek ji,,,,,,
Deleteka likhe ho,,,,,,,,,,
manwa khush hui gawa,,,,,
aise hi likhate raho,,,,,,,,,,
nice well done..!
ReplyDeletelovely but i tell you as a mother no mum views her love as "karz" a nice loving word at the end of the day is her reward, a listening ear is more than enough
ReplyDeleteyes i agree with your words but some of sons they do not respect their mothers i have written it for them as debt.
ReplyDeletei am glad to see your nice comments
thanks
vivek human