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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 15 January 2012

वो जबाना बचपन का

क्या समय था बचपन का, वो जबाना बचपन का
थोरा नटखट ,थोरी शरारत करता था
कोई परवाह नहीं करता था ,बस अपनी धुन में रहता था
घंटो खेला करता था , छुप-छुप के खाया करता था
खिलौने की जिद करता था ,चौकलेट पे मरता था
बहन के बाल खिचता था , भाई को डाट सुनवाता था
तीतलियो को पकड़ता था ,संग उनके खेला करता था
समय न था तय सोने का, नींद आई तब सोता था
क्या समय था बचपन का , वो जबाना बचपन का
भाई से प्यार पाता था , बहन का दुलार मिल जाता था
पिता के कंधो पे घूमता था ,माँ की गोद में सोया करता था
अपने -पराये की पहचान न थी ,सब ऐसे जैसे अपने लगते थे
बस खुसिया ही खुसिया थी ,गम से मेरा न कोई नाता था
क्या समय था बचपन का ,वो जबाना बचपन का.(मेरे बचपन से जुरी कुछ यादे )

3 comments:

  1. vo bachpan ki neend to bs ek aas ban kar rh gayi hain , kya umar thi k-raat hui; palkein jhuki aur so gaye .....

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  2. need to improve spellings :p

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