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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Wednesday, 18 January 2012

मेरी बाते


मैं एक इंसान हु इंसानियत ही मेरा धर्म हैं और वहीँ मेरा कर्म हैं मैं जाति,रंग,रूप ,क्षेत्र ,धर्म तथा अन्य चीजो का फर्क या अंतर नहीं करता मैं एक इंसान हु और इंसान से दोस्तीं करना पसंद करता हु और उसकी सेवा ही मेरा धर्म तथा कर्म समझता हु मेरी नजर में इंसान कौन हैं -जो इमानदार हो ,सचा हो ,मेहनती हो परोपकारी हो,कर्तव्यपरायण हो ,जो अपने माता पिता तथा परिवार की सेवा करता हो ,जो समाज सेवा तथा देस सेवा के लिए तत्पर हो, जो धर्म, जाति ,रंग,क्षेत्र तथा अन्य चीजो से कोई मतलब नहीं रखता हो जिसका एक ही उदेश्य हो ----कठोर परिश्रम से माता-पिता ,परिवार,समाज,देश की सेवा तथा संपूर्ण मानव-समुदाय की सेवा करना 

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