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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Wednesday 18 April 2012

मैं और मेरा शायराना अंदाज -(४)

१- जब मोहब्बत जवां होता हैं हर दिल में बस यही दुआ होता  हैं
पा ले उस मोहब्बत को जो अभी अभी जवां हुआ  हैं  .
२-मैं दूसरों के ख़ुशी के लिए खुद की ख़ुशी निछावर करता हूँ
यकीन नहीं मुझपे तो आजमा कर देखिये ये बात मैं सीना ठोक कर कहता हूँ
३ -कोई मिलता हैं फिर बिछरता क्यूँ हैं  यही जिन्दगी हैं तो ऐसी ये जिन्दगी क्यूँ हैं कोई अपना बनाके रुलाता क्यूँ हैं  अक्सर यही होता हैं तो ऐसा होता क्यूँ  हैं


1 comment:

  1. I would love to be able to have a read of your site but it is not in English. Do you have a google translate button somewhere please?

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