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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं
Sunday, 17 June 2012
एक कोशिश
एक कोशिश तुम करो
जिद एक मैं करता हूँ
एक आवाज तुम लगाओ
दौर के मैं आता हूँ
एक कार्य तुम करो
आगे देखो मैं आता हूँ
एक बार तुम आओ
देखो फिर मैं आता हूँ
एक कोशिश तुम करो
जिद एक मैं करता हूँ
A very sweet and touching poem.Well done!
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