मेरे हिंदी ब्लॉग साईट (सर्व सेवा समाज) में आपका हार्दिक स्वागत हैं

बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 17 June 2012

मैं और मेरा शायराना अंदाज-११

१- मुझे क्या जानेंगे जिन्होंने खुद को नहीं जाना  हैं
समझे पहले खुद को जिन्होंने मुझको अब तक नहीं पहचाना  हैं
२- जिन्दगी को वही जाना हैं जिसने जिन्दगी को जिया  हैं
मरने की बात वही किया हैं जिसने जिन्दगी को नहीं जिया  हैं
३-कभी कभी लाख सोचने पर भी कुछ नहीं लिख पाते  हैं
जब कभी कुछ नहीं सोचते तब बहुत कुछ लिख जाते  हैं

No comments:

Post a Comment