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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday, 17 June 2012

मैं और मेरा शायराना अंदाज-१०

१-उनसे मिलने को मन मचलता हैं
एक झलक पाने को दिल तरश्ता  हैं
कब होंगी उन से मुलाकात
ये सोचकर दिल धड़कता  हैं
उनसे मिलने को मन मचलता  हैं
एक झलक पाने को दिल तरश्ता  हैं
२-कोई नहीं करता प्यार किसी से सब छलावा करते  हैं
मत करना प्यार किसी से सब दिखावा करते  हैं

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