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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Thursday 7 June 2012

मैं और मेरा शायराना अंदाज-७

१-मेरे आंसूओ की कीमत वे क्या समझेंगे जिनके आँखों में पानी न हो
जब भरेंगी आँखे भी उनकी आंसूओ से तब मेरे आंसूओ का एहसास होगा
२ -भरोषा भी करने से डरता हूँ प्यार तो दूर की बात हैं
एक गलती करके देख लिया अब ये दुहराने से डरता हूँ
३ -मत होइएगा खफा मुझसे बहुत तकलीफ होती  हैं
जान नहीं जाती हैं मगर  आंसू निकल आते हैं
४-खुद से मैंने एक सवाल किया था अब तक न जवाब मिल पाया 
जिसको मैंने दिलो जान से चाहा था उसका अब तक तो  न हां मिल पाया

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