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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 1 July 2012

तन्हा और अकेला

मैं कल भी तन्हा था आज भी अकेला हूँ
मैं तब भी उदास था आज भी दुखी हूँ
कारण साफ़ था आज भी स्पष्ट हैं
जो और जैसा मैंने चाहा था
हो सकना पूरा उसका नामुंकिन था
मैं कल भी तन्हा था आज भी अकेला हूँ
मैं तब भी उदास था आज भी दुखी हूँ
मेरी तन्हाई का कारण जो आज हैं
मेरे अकेले होने का वजह वही था
जो बात सच हैं मेरी उदासी का सबब हैं
ये बस मैं ही जानता हूँ चूकि मैं जो तन्हा हूँ
मैं कल भी तन्हा था आज भी अकेला हूँ
मैं तब भी उदास था आज भी दुखी हूँ

1 comment:

  1. postingan yang bagus tentang"तन्हा और अकेला "

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