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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 1 July 2012

मैं और मेरा शायराना अंदाज-१२

१-मुझसे हर बार एक सवाल पूछा जाता हैं
मेरे होने का प्रमाण पूछा जाता हैं
मैंने कह तो दिया हैं पर न जाने क्यों
यही सवाल मुझसे बार बार किया जाता हैं
२-ज़िदगी को जी लेने में ही मजा  हैं कौन जाने कब कहा और क्या हो जाए हर कदम पे खतरा  हैं न  जाने कब सब कुछ ख़ाक हो जाए जिन्दगी को जी लेने में  ही मजा हैं
३ -मुझे जब भी मेरे महबूब की याद आती  हैं 
आंखे नम और दिल की धड़कन तेज हो जाती  हैं

1 comment:

  1. postingan yang bagus tentang"मैं और मेरा शायराना अंदाज-१२"

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