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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Tuesday 3 July 2012

दिल की बात

जिसके पास दिल हैं समझता हैं वही दिल की बात
करता हैं वो दिल की बात ,सुनता हैं वो दिल की बात
जानता  हैं वो दिल की तड़प ,सुनता हैं वो दिल की धड़कन
जिसके पास दिल हैं समझता हैं वही दिल की बात
मानता हैं वो दिल की बात ,सुनता हैं वो दिल की पुकार
चाहता हैं वो दिल की सुनवाई ,करता हैं वो फरियाद दिल से
सोचता हैं वो दिल के दर्द को ,जानता हैं वो दिल की पीड़ा को
जिसके पास दिल हैं समझता हैं वही दिल की बात
करता हैं वो दिल की बात ,सुनता हैं वो दिल की बात

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