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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Tuesday 10 July 2012

किसे याद करू और किसे भुलाऊ

किसे याद करू और किसे भुलाऊ 
सब मेरे अपने हैं किसे भुलाऊ और किसे न भुलाऊ
किसे याद करू और किसे भुलाऊ
सब मेरे अपने हैं किसे भुलाऊ और किसे न भुलाऊ
मेरी नजर में तुम मेरे हो ,वो भी अपना हैं
मेरा कोई दुश्मन नहीं हैं तुम भी मेरे हो ,वो भी मेरा हैं
मैं किससे दूर जाऊ ,और किसके करीब आऊ
ना तुम मेरे गैर हो ,और न वो मेरे वैरी हैं
किसे याद करू और किसे भुलाओ
सब मेरे अपने हैं किसे भुलाऊ और किसे न भुलाऊ

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