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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday, 19 August 2012

मैं और मेरा शायराना अंदाज-२५

१ -लाख पहरे लगाले दुनिया तुझे पाकर ही रहूँगा
मर जाऊँगा-मिट जाऊँगा पर तेरा होकर ही रहूँगा
छोर दूंगा सबको ,पर तुझसे दूर न रह पाउँगा
चाहा हैं जो तुझको ,तुझे अपना बनाके ही रहूँगा
लाख पहरे लगाले दुनिया तुझे पाकर ही रहूँगा
मर जाऊँगा-मिट जाऊँगा पर तेरा होकर ही रहूँगा
२ -सफ़र जिन्दगी का आसान नहीं होता
बिना कदम बढ़ाये रास्ता पार नहीं होता
३ -हर  किसी  के  नसीब  में  चाँद  नहीं  होता  कुछ  ऐसे  भी  होते  हैं  जिनके नसीब ही नहीं  होते
४ -बहुत सुकून मिलता हैं दोस्त के कंधे पे सर रख के सोने में ,कभी गले लगा के देखना दोस्त को  पता चल जाऐगा कितना चैन मिलता हैं दोस्त को बाहों में भरने पे  ,,,


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