दिल में कोई बात हैं
जो कहना चाहता हूँ
मगर सच तो ये हैं
कहने से डरता हूँ
कैसे कहूं ,ये सोचता हूँ
समझ नहीं आता
कहूं या फिर ना कहूं
नहीं कहता हूँ
तो तड़पता रहता हूँ
और कहना चाहता हूँ
तो कह नहीं पाता हूँ
कई बार ,कहना चाहा
जुबान तक बात आई
पर आवाज निकल नहीं पाई
दिल में कोई बात हैं
जो कहना चाहता हूँ
मगर सच तो ये हैं
कहने से डरता हूँ
जो कहना चाहता हूँ
मगर सच तो ये हैं
कहने से डरता हूँ
कैसे कहूं ,ये सोचता हूँ
समझ नहीं आता
कहूं या फिर ना कहूं
नहीं कहता हूँ
तो तड़पता रहता हूँ
और कहना चाहता हूँ
तो कह नहीं पाता हूँ
कई बार ,कहना चाहा
जुबान तक बात आई
पर आवाज निकल नहीं पाई
दिल में कोई बात हैं
जो कहना चाहता हूँ
मगर सच तो ये हैं
कहने से डरता हूँ
nice one
ReplyDeleteAwesome Human Ji keep it up
ReplyDeletevery nice post i like it.
ReplyDeletewow....well said vivek
ReplyDeletekahun ya na kahun ? kahane se darta hun. vah kya kahi! bahut achchha.
ReplyDeleteAap "mere vichar meri anibhuti" me bhi vicharan karne ki kasht karen. aapka sujhao avam samarthan pratikshit hai.
Kalipad "Prasad"
So sweet :)
ReplyDeletehappens many times...good one!!
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