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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 14 October 2012

हाँ मैं गरीब हूँ


हाँ मैं गरीब हूँ                                         
पर मुझे दुःख नहीं हैं 
दुःख तो तब होता हैं 
जब मेरी गरीबी का 
मजाक उड़ाया जाता हैं 
हाँ मैं गरीब हूँ 
पर मुझे दुःख नहीं हैं 
तकलीफ तो तब होती हैं 
जब मेरी शराफत का 
फायदा उठाया जाता हैं 
हाँ मैं गरीब हूँ 
पर मुझे दुःख नहीं हैं 
दिल तो तब दुखता हैं 
जब मेरे दर्द को 
और बढाया जाता हैं 
हाँ मैं गरीब हूँ 
पर मुझे दुःख नहीं हैं 
जलन तो तब होती हैं 
जब मेरे जख्मों पे 
नमक छिड़का जाता हैं 
हाँ मैं गरीब हूँ 
पर मुझे दुःख नहीं हैं 
दुःख तो तब होता हैं 
जब मेरी गरीबी का 
मजाक उड़ाया जाता हैं 

5 comments:

  1. i like your post i respect feelings this is true

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  2. हाँ मैं गरीब हूँ
    पर मुझे दुःख नहीं हैं
    जलन तो तब होती हैं
    जब मेरे जख्मों पे
    नमक छिड़का जाता हैं
    swagat hai , bahut khoob
    dil se nikale hue shabd

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  3. :(
    Sad one!!

    Thanks for supporting my post on indiblogger.....
    Do land in my world some day...

    http://apparitionofmine.blogspot.in/

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