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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Wednesday, 28 December 2011

गरीब आदमी

वो गरीब आदमी ही तो हैं जो बिना छत के सोता हैं
वो और कौन हैं गरीब आदमी ही तो हैं
जो हर दर्द को भूलता मुस्कुराता जीता हैं 
वो और कौन हैं गरीब आदमी ही तो हैं
जो रिक्शा चलाता गीत-गुनगुनाता रहता हैं
वो और कौन हैं गरीब आदमी ही तो हैं
जो कम में गुजारा करके भी  खुश रहता हैं हैं
वो और कौन हैं गरीब आदमी ही तो हैं
जो मेहनत कर के भी दो वक़्त की रोटी को तरश्ता  हैं
वो और कौन हैं गरीब आदमी ही तो हैं   
जो गरीबी में जीता गरीबी में ही गुजर जाता हैं.

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