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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Wednesday 28 December 2011

बुरी नीयत

आज क्या हो गया हैं आदमी को ऐसी नीयत क्यूँ हो गई हैं आदमी की आज हमारी माँ,बहन कोई सुरक्षित नहीं हैं इस नीयत से क्यूँ ऐसी नीयत हो गई हैं आदमी की इतने गिर क्यूँ गए हैं आदमी आज हम ये भूल गए हैं हम सब ऊपर वाले की संतान हैं और हमारी बुरी नज़र और नीयत हमे खुद की नजरो में ,परिवार की नज़रो में , समाज की नजरो में, और ऊपर वाले के नज़रो में गिरा देगी हमे अपनी बुरी नीयत को एक अच्छी नीयत में बदलना होगा तभी हम खुद की नजरो में उठ पायेंगे और इंसानियत अथवा मानवता की लाज बचा पायेंगे क्यूंकि एक अच्छे इंसान की नीयत अच्छी होती हैं जो बुरी नज़र रखते हैं वे इंसान नहीं होते हैं

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