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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Tuesday 31 January 2012

उनकी ख़ुशी की खातिर

उनकी ख़ुशी की खातिर कुछ कर गुजरने को जि चाहता हैं ,
उनकी एक मुस्कुराहट पे अब मर जाने को जि चाहता हैं ,
उनकी चाहत की खातिर हद से गुजरने को जि चाहता हैं,
उनकी मोहब्बत में अब मिट जाने को जि चाहता हैं,
उनकी ख़ुशी की खातिर कुछ कर गुजरने  को जि चाहता हैं,
उनकी एक मुस्कुराहट पे अब मर जाने को जि चाहता हैं ,
उनकी ख्वाबों  की खातिर ख्वाब  बुनने  को जी चाहता हैं
उनकी ख्यालों में अब खो जाने को जि चाहता हैं
उनकी साँसों में अब समा जाने को जि चाहता हैं
उनकी सपनो की खातिर सपने देखने को जि चाहता हैं
बस उन्हें अपना बना लेने को जि  चाहता हैं
उनकी खुशी की खातिर कुछ कर गुजरने को जि करता हैं
उनकी एक मुस्कराहट पे अब मर जाने को जि चाहता हैं

2 comments:

  1. wah ji wah kya chahat hai aapki

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    1. na na na ye to bahut kam hain abhi or bhi hain

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