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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Wednesday 1 February 2012

मेरा भी मन करता हैं

मेरा भी मन करता हैं
की सपनों के महल को
हकीक़त में ढालु
कोशिश भी जबरदस्त करता हूँ
पर हर बार मात भी मैं खाता हूँ
मेरा भी मन करता हैं
की माँ के सपनों को
साकार करू 
प्रयत्न हर बार करता हूँ
पर हर बार विफल भी मैं होता हूँ
मेरा भी मन करता हैं
की पिता के विश्वास को
मजबूत करू
प्रयास भी हर संभव करता हूँ
पर हर बार कमजोर खुद को पाता हूँ
मेरा भी मन करता हैं
की समाज की बुराई को
दूर करू
चेष्टा जी-जान से करता हूँ
पर हर बार नाउमीद भी मैं होता हूँ
मेरा भी मन करता हैं
की सपनों के महल को
हकीक़त में ढालु
कोशिश भी जबरदस्त करता हूँ
पर हर बार मात भी मैं खाता हूँ

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