मेरे हिंदी ब्लॉग साईट (सर्व सेवा समाज) में आपका हार्दिक स्वागत हैं

बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Tuesday, 13 March 2012

कुछ ऐसे ही (१ )

उम्मीद का दामन छोरों नहीं
मायूश उदास यू रहो नहीं
हिम्मत कभी यू हारो नहीं
हालात से ऐसे घबराओ नहीं
निराश-हताश यू रहो नहीं
खामोश ऐसे यू बैठो नहीं
सिर पे हाथ रख बस सोचो नहीं
कांटों को देख रास्ता बदलो नहीं
बईमानी की नीति अपनाओ नहीं
विश्वास किसी का यू तोरों नहीं
मज़बूरी का रोना बस रोवो नहीं
ना करने का कारन सोचो नहीं
उम्मीद का दामन छोरों नहीं
मायूश उदास यू रहो नहीं

No comments:

Post a Comment