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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 18 March 2012

कुछ ऐसे ही (२)

बस ऐसे ही कुछ नहीं
पर कुछ लिख रहा हूँ
मन में कुछ नहीं हैं
पर दिल में जो बात हैं
वो ही लिख रहा हूँ
दिल बहुत कुछ चाहता हैं
एक अच्छा दोस्त चाहता हैं
कोई एक हमसफ़र चाहता हैं
पर कोई ऐसा मिलता नहीं
जिसको ये दिल चाहता हैं
बस ऐसे ही कुछ नहीं
पर कुछ लिख रहा हूँ
मन में कुछ नहीं हैं
पर दिल में जो बात हैं
वो ही लिख रहा हूँ

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