सब धोखा हैं कभी आपने सोचा हैं
मुख में राम तो बगल में छुरी हैं
सुख में साथ तो दुःख में दुरी हैं
सब धोखा हैं कभी आपने सोचा हैं
हाथ में हाथ हैं जब पास में माल हैं
कोई नहीं साथ हैं जब खाली हाथ हैं
दिल में सम्मान हैं जब तक शान हैं
रहता नहीं कोई जब गिरता आन हैं
सगे- संबंधी छोरों अपना-पराया न कोई
मुश्किल घड़ी में न कोई साथ देता हैं
दोस्त हैं तो वो बस स्वार्थ से जुड़ा हैं
काम उसका निकला तो दोस्ती ये कैसी
कैसे करे यहाँ ऐतबार किसी पे
मुश्किल हैं भरोसा करना किसी पे
संभलकर रहना जीना यहाँ पे
क्यूँकि मुख में राम तो बगल में छुरी हैं
सुख में साथ तो दुःख में दुरी हैं
सब धोखा हैं कभी आपने सोचा हैं
मुख में राम तो बगल में छुरी हैं
सुख में साथ तो दुःख में दुरी हैं
सब धोखा हैं कभी आपने सोचा हैं
हाथ में हाथ हैं जब पास में माल हैं
कोई नहीं साथ हैं जब खाली हाथ हैं
दिल में सम्मान हैं जब तक शान हैं
रहता नहीं कोई जब गिरता आन हैं
सगे- संबंधी छोरों अपना-पराया न कोई
मुश्किल घड़ी में न कोई साथ देता हैं
दोस्त हैं तो वो बस स्वार्थ से जुड़ा हैं
काम उसका निकला तो दोस्ती ये कैसी
कैसे करे यहाँ ऐतबार किसी पे
मुश्किल हैं भरोसा करना किसी पे
संभलकर रहना जीना यहाँ पे
क्यूँकि मुख में राम तो बगल में छुरी हैं
सुख में साथ तो दुःख में दुरी हैं
सब धोखा हैं कभी आपने सोचा हैं
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