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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 18 March 2012

कभी किसी से दिल लगाना नहीं

कभी किसी से दिल लगाना नहीं
दिल लगाया तो दिल चुराना नहीं
करते हो प्यार तो घबराना नहीं
किया जो मोहब्बत तो छुपाना नहीं
कभी किसी से यू प्यार जताना नहीं
जताया तो फिर पीछे मुड़ जाना नहीं
करते हो इकरार तो इंकार करना नहीं
मिलाया जो नैन तो पलके गिराना नहीं
हाथ में देके हाथ छोर जाना नहीं
करके वादा यू तोड़ जाना नहीं
कभी किसी से दिल लगाना नहीं
दिल लगाया तो दिल चुराना नहीं 
करते हो प्यार तो घबराना नहीं
किया जो मोहब्बत तो छुपाना नहीं

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