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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 25 March 2012

अगर मैं होता

अगर मैं जीवन होता ,तो चैन से जीने देता
 गर मौत होता तो ,जीने का अवसर देता
अगर मैं रौशनी होता ,तो हर एक को प्रकाश देता
गर अंधकार होता ,तो कही दूर होता
अगर मैं दिन होता , तो रात की प्रतीक्षा करता
गर रात होता , तो प्रातः की तैयारी करता
अगर मैं बरसात होता , तो सावन में ही बरसता
गर सावन होता , तो हरियाली बिखेर देता
अगर मैं अमीर होता, तो गरीबी दूर करता 
गर गरीब होता , तो संतोष के साथ जीता
अगर मैं जीवन होता ,तो चैन से जीने देता
गर मौत होता तो ,जीने का अवसर देता

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