मेरे हिंदी ब्लॉग साईट (सर्व सेवा समाज) में आपका हार्दिक स्वागत हैं

बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Saturday 24 March 2012

दहेज़ पे दो सब्द

         दहेज़ पे दो सब्द लिखना चाहता हूँ
         ज्यादा नहीं थोड़ा लिखना चाहता हूँ
         क्यों दहेज़ लेना चाहता हूँ
         और क्यों दहेज़ देना चाहता हूँ
         ये खुद से आज पूछना चाहता हूँ
         दहेज़ पे दो सब्द लिखना चाहता हूँ
          क्या जरुरत हैं जो दहेज़ चाहता हूँ
          बस इतना नहीं थोरा और चाहता हूँ
          आखिर क्यों  ये दहेज़ चाहता हूँ
          मुझे जरुरत नहीं जो मैं दहेज़ चाहता हूँ
          दहेज़ चूकी एक समाज की बुराई हैं
          इसलिए न तो मैं लेना चाहता हूँ
          और न भूलकर भी देना चाहता हूँ
          दहेज़ पे दो सब्द लिखना चाहता हूँ
         ज्यादा नहीं थोड़ा लिखना चाहता हूँ
         क्यों दहेज़ लेना चाहता हूँ
         और क्यों दहेज़ देना चाहता हूँ
         ये खुद से आज पूछना चाहता हूँ
         दहेज़ पे दो सब्द लिखना चाहता हूँ

        
          
         
        
        
        
        
     

1 comment: