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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 1 April 2012

मैं और मेरा शायराना अंदाज (३)

१ -प्यार छुपाये नहीं छुपता ये वो आग  हैं जो लग जाए तो बुझाये नहीं  बुझता
२-प्यार की राह में सफ़र मैं भी करता हूँ पर मलाल हैं मुझको हमसफ़र नहीं पाता हूँ

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