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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 1 April 2012

कुछ ऐसे ही (३ )

ख़ुशी के दो पल को जी भर जियो
पल भर में ये पल न हो खूब जियो
एक पल में फिर ये पल न हो सो जियो
ख़ुशी के दो पल को जी भर जियो
क्या पता ये पल फिर न आये सो जियो
कौन जाने ये ख़ुशी के पल कब आये 
क्या भरोसा एक पल में क्या हो जाए
पल का मजा पल भर में लेलो
पल भर में जाने ये पल न हो
एक पल में फिर ये पल न हो सो जियो
ख़ुशी के दो पल को जी भर जियो

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