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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Sunday 29 April 2012

मैंने भी कभी प्यार किया था

मैंने भी कभी प्यार किया था
दिल कभी मैंने किसी को दिया था
मैंने भी कभी आँखे-चार किया था
ऐतबार कभी मैंने किसी पे किया था
मैंने भी कभी प्यार किया था
चाहा कभी मैंने किसी को पूजा था
मैंने भी कभी जा-निसार किया था
इज़हार कभी मैंने किसी से किया था 

मैंने भी कभी प्यार किया था
दिल कभी मैंने किसी को दिया था

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