जानकर भी अनजान बनती हैं वो
करती हैं प्यार,मगर जताती नहीं हैं वो
छुप-छुप के खिरकियो से देखती हैं वो
पर जब सामने आती हैं तो घबरा जाती हैं वो
कभी नजरे मिलाती हैं वो तो कभी नजरे चुराती हैं वो
जानकर भी अनजान बनती हैं वो
करती हैं प्यार,मगर जताती नहीं हैं वो
रुक-रुक के पीछे आती हैं वो
मैं रुका तो चलने का दिखावा करती हैं वो
कभी देखकर मुझको मुस्कुराती हैं वो
तो कभी मुस्कुराकर शरमा जाती हैं वो
जानकर भी अनजान बनती हैं वो
करती हैं प्यार,मगर जताती नहीं हैं वो
करती हैं प्यार,मगर जताती नहीं हैं वो
छुप-छुप के खिरकियो से देखती हैं वो
पर जब सामने आती हैं तो घबरा जाती हैं वो
कभी नजरे मिलाती हैं वो तो कभी नजरे चुराती हैं वो
जानकर भी अनजान बनती हैं वो
करती हैं प्यार,मगर जताती नहीं हैं वो
रुक-रुक के पीछे आती हैं वो
मैं रुका तो चलने का दिखावा करती हैं वो
कभी देखकर मुझको मुस्कुराती हैं वो
तो कभी मुस्कुराकर शरमा जाती हैं वो
जानकर भी अनजान बनती हैं वो
करती हैं प्यार,मगर जताती नहीं हैं वो
kamal karte hai vivek ji.....Dil ko touch kar gaya yar....awesome....!!
ReplyDeleteAwesome bro............
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